आप इसे देखकर हैरान न हो। आपने सही पहचाना है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ही हैं। मूंगफली छीलने की देसी मशीन देखकर सच में खुद हैरान हैं। उन्होंने इस मशीन बनाने वालों को सराहा और कहा कि असल प्रौद्योगिकी व तकनीक यही है, जो आम व गरीबों को मदद पहुंचा सकती है। उनकी इस टिप्पणी के बाद इस तरह की मूंगफली और मक्का छुड़ाने वाली मशीनों की मांग बढ़ी है। अमेरिकी अधिकारियों ने इसके आयात की संभावनाएं तलाशने में जुटे हैं। इन छोटे उपकरणों को अमेरिका अफ्रीकी गरीब देशों को भेजना चाहता है। है न कमाल की तरकीब। दूसरे फोटो में ओबामा खुद मक्के का दाना छुड़ा रहे हैं।
Friday, January 7, 2011
रबी पौध के खराब होने से प्याज खेती को झटका, प्याज निकालेगी और आंसू
प्याज की खरीफ फसल को नुकसान क्या हुआ चौतरफा हायतौबा मच गई। सरकार ने भी कहा ढाढ़स बंधाया कि घबराइये नहीं जल्दी ही रबी फसल वाली प्याज खेत से निकलने लगेगी और बात बन जाएगी। यानी प्याज की कीमतें सतह पर आ जाएंगी। लेकिन प्याज की खेती के सरकारी आंकड़े ने तो कान ही खड़े कर दिये। बताया गया है कि रबी फसल में रोपाई की जाने वाली प्याज की नर्सरी को २० फीसदी तक नुकसान हुआ है। अब इस जानकारी के बाद भी भला प्याज के मूल्य के नीचे आने की संभावना तो नहीं लगती। इसलिए सरकार हमे आपको भले ही झूठी दिलासा दिला रही हो, लेकिन माथे पर उसके भी बल पड़ने लगे हैं। उसी संबंधित कुछ जानकारी आपके लिए, ताकि आप किसी झांसे में न आयें।
प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश ने सिर्फ खरीफ सीजन की फसल को ही नुकसान नहीं पहुंचाया है, बल्कि रबी सीजन की पौध को भी चौपट किया है। सरकार ने माना है कि रबी सीजन की प्याज नर्सरी को 20 फीसदी तक का नुकसान हुआ है। पौध की कमी से प्याज की आगामी खेती का रकबा घटने का अंदेशा है, जिसे लेकर सरकार के माथे पर बल पडऩे हैं। उत्पादन घटने की आशंका से उपभोक्ताओं को प्याज आगे भी तंग करेगी।
प्याज को लेकर उपभोक्ताओं के साथ सरकार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। खरीफ सीजन में प्याज के खेत से निकलने से पहले हुई बारिश ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया था, जिससे कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच गईं। रबी फसल के लिए तैयार की जा रही नर्सरी पर भी बेमौसम बारिश का बुरा असर पड़ा है। रबी की पौध की तैयारी अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में ही पूरी हो जाती है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार इन्हीं दिनों बेमौसम बारिश ने प्याज नर्सरी को 15 से 20 फीसदी तक नुकसान पहुंचाया है। इससे आगामी रबी फसल की प्याज की पैदावार के प्रभावित होने का पूरा खतरा है।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान व विकास फाउंडेशन के मुताबिक प्याज की कुल पैदावार में रबी सीजन की हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी होती है। नर्सरी के नुकसान का सीधा मतलब प्याज की खेती पर पडऩा तय है। रबी सीजन के लिए प्याज की रोपाई इस महीने से चालू हो गई है। प्याज की इस नई फसल की खुदाई मार्च से शुरू हो जाएगी।
खरीफ सीजन की प्याज की खेती को 40 फीसदी तक नुकसान होने का अनुमान है। यही वजह है कि प्याज के मूल्य पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा है। मांग व आपूर्ति के इस अंतर को कम करने के लिए सरकार ने आनन-फानन में पाकिस्तान समेत अन्य देशों से प्याज के आयात का फैसला ले लिया है। इसके चलते कीमतें थोड़े समय के लिए थमी जरुर, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्याज के मूल्य बहुत बढ़ जाने से हालत में बहुत सुधार नहीं हुआ है।
प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश ने सिर्फ खरीफ सीजन की फसल को ही नुकसान नहीं पहुंचाया है, बल्कि रबी सीजन की पौध को भी चौपट किया है। सरकार ने माना है कि रबी सीजन की प्याज नर्सरी को 20 फीसदी तक का नुकसान हुआ है। पौध की कमी से प्याज की आगामी खेती का रकबा घटने का अंदेशा है, जिसे लेकर सरकार के माथे पर बल पडऩे हैं। उत्पादन घटने की आशंका से उपभोक्ताओं को प्याज आगे भी तंग करेगी।
प्याज को लेकर उपभोक्ताओं के साथ सरकार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। खरीफ सीजन में प्याज के खेत से निकलने से पहले हुई बारिश ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया था, जिससे कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच गईं। रबी फसल के लिए तैयार की जा रही नर्सरी पर भी बेमौसम बारिश का बुरा असर पड़ा है। रबी की पौध की तैयारी अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में ही पूरी हो जाती है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार इन्हीं दिनों बेमौसम बारिश ने प्याज नर्सरी को 15 से 20 फीसदी तक नुकसान पहुंचाया है। इससे आगामी रबी फसल की प्याज की पैदावार के प्रभावित होने का पूरा खतरा है।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान व विकास फाउंडेशन के मुताबिक प्याज की कुल पैदावार में रबी सीजन की हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी होती है। नर्सरी के नुकसान का सीधा मतलब प्याज की खेती पर पडऩा तय है। रबी सीजन के लिए प्याज की रोपाई इस महीने से चालू हो गई है। प्याज की इस नई फसल की खुदाई मार्च से शुरू हो जाएगी।
खरीफ सीजन की प्याज की खेती को 40 फीसदी तक नुकसान होने का अनुमान है। यही वजह है कि प्याज के मूल्य पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा है। मांग व आपूर्ति के इस अंतर को कम करने के लिए सरकार ने आनन-फानन में पाकिस्तान समेत अन्य देशों से प्याज के आयात का फैसला ले लिया है। इसके चलते कीमतें थोड़े समय के लिए थमी जरुर, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्याज के मूल्य बहुत बढ़ जाने से हालत में बहुत सुधार नहीं हुआ है।
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