Wednesday, November 28, 2012

शैवाल व सीपियों से बनी गठिया की दवा से दर्द छूमंतर

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---------- भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाईं बिना साइड इफेक्ट वाली गठिया की दवाएं समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान को कृषि मंत्रालय ने सराहा -------------------- नई दिल्ली। मुद्दतों से सुनते चले आए हैं कि गठिया है तो दर्द होगा ही। इस दर्द का कोई मुकम्मल इलाज नहीं है। इस जुमले को भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने झूठा साबित कर दिया है। उन्होंने समुद्री सीपों और शैवाल से ऐसी अनोखी दवा तैयार की है जो असहनीय पीड़ा से तड़पते गठिया रोगियों को दर्द से निजात दिलाएगी। शत-प्रतिशत प्राकृतिक होने की वजह के इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। गठिया यानी आर्थराइटिस के रोगियों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के वैज्ञानिकों ने नायाब नुस्खा तैयार किया है। समुद्री सीपों और हरी शैवाल घास से तैयार उनकी दवाएं किसी भी अंग्रेजी दवा के मुकाबले अधिक कारगर साबित हुई हैं। पूर्ण रूप से प्राकृतिक होने की वजह से इन दवाओं का साइड इफेक्ट बिल्कुल नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने के बाद इन दवाओं का पेटेंट भी करा लिया गया है। कोच्चि में केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान आइसीएआर का एक संस्थान है। यहां के वैज्ञानिकों को इस दवा को तैयार करने में लंबा समय लगा। बाजार में उपलब्ध देसी-विदेशी दवाओं से अस्थायी आराम ही मिलता है, साथ ये बहुत खर्चीली भी हैं। लेकिन अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के नायाब नुस्खे ने गठिया रोगियों में उम्मीद की किरण जगाई है। इन वैज्ञानिकों ने समुद्री शैवाल और सीपों से आर्थराइटिस की ऐसी दवाएं तैयार की हैं, जो न सिर्फ इस रोग के प्रसार को रोकने में कामयाब होंगी, बल्कि जिनका खर्च वहन करना भी आसान होगा। आइसीएआर के समुद्र मात्स्यिकी वैज्ञानिकों ने पहले सीप अथवा घोंघे (म्यूजेल्स) से गठिया की जो दवा बनाई तो वह कारगर तो रही, लेकिन उसे मांसाहारी मानकर शाकाहारी रोगियों ने खाने से मना कर दिया। इस पर सामुद्रिक मात्स्यिकी वैज्ञानिकों ने साल भर के भीतर ही समुद्री घास, हरी शैवाल से उतनी ही कारगर शाकाहारी दवाएं तैयार कर दीं। वैज्ञानिकों ने पाया कि सीपों के वही गुण इन हरी शैवाल में भी मौजूद हैं। इस तरह अब मांसाहारी और शाकाहारी दोनों के लिए आर्थराइटिस की कारगर दवाएं उपलब्ध हैं। दोनों के कैप्सूल और टिकियां तैयार हो चुकी हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन दवाओं के प्रयोग से असह्यï पीड़ा से तत्काल मुक्ति मिल जाती है। यह एस्पिरिन के मुकाबले कई गुना अधिक कारगर साबित हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। मालूम हो कि देश में 20 करोड़ से अधिक आबादी गठिया रोग की असह्यï पीड़ा सहने को मजबूर है। उनके लिए उपयुक्त दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। ---------

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