Friday, February 14, 2014

इजराइल दौरे की दूसरी किश्तः



येरुसलम एक प्राचीन शहर, उसके आसपास ही प्राचीन सभ्यताएं पनपी। उसे येरुसलम की आबोहवा में महसूस किया जा सकता है। वहां के लोगों को अपना इतिहास संजोकर रखने आता है। उसका सम्मान करने आता है। यहूदी, इसाई और इस्लाम के धर्मावलंबियों के लिए यह अति पवित्र स्थल है। यहां उनका आना जाना लगा रहता है। होली वाल (पवित्र दीवार)और अल अक्सा के दीदार को हर कोई तरसता है, जिसका सौभाग्य हमे मिला। गलियों के आखिरी छोर पर मुस्लिम आबादी रहती है। यहीं कहीं एक गुफानुफा रेस्टोरेंट में हमने दोपहर का भोजन किया। शहर में शानदार म्युजियम भी है, जिसे न देखना बहुत बड़ी चूक होगी। शाम को येरुसलम की पंरपरागत मार्केट देखने निकले। रास्ते में चलते हुए सड़क पर मिल गई, मेट्रो टाइप ट्राम। खूबसूरत। सड़क की पटरियों के आसपास से गुजरने पर बेकिंग होते ब्रेड की सुगंध आ रही थी। कड़क काफी हवा में महक रही थी । मार्केट में अंदर घुसे तो पता चला सब्जी मंडी के साथ खाने पीने के सामान वाली दुकानें भी हैं। लेकिन न कहीं कचरा, न बदबू और न हल्ला गुल्ला । मछली भी बिक रही थी, लेकिन मछली बाजार की झांय झांय तो थी नहीं। सब कुछ करीने से साफ सुथरा, पैकिंग में बिक रहा था। हर तरह की सब्जी थी, मौसम की रोक रोट नहीं थी । यहां के किसानों ने मौसम को अपने काबू में कर रखा है। जब जो चाहते हैं उगा लेते हैं। क्या कुछ नहीं था। देख दाख कर लौटने लगे तो सर्द हवाएं सताने के अंदाज में लगने लगीं। वाह लेकिन चौराहे पर रंगीन फूलों ने रोक लिया। रेगिस्तानी रेतों के बीच रंग बिरंगे फूल खिलखिला रहे थे। ध्यान से देखा तो प्लास्टिक पाइपों का जाल और उसमें लगे ड्रिप इरिगेशन का पहला नमूना दिखा। इसके लिए इजराइल ने दुनिया में जाना जाता है।

1 comment:

Dr Mandhata Singh said...

यरूशलम शहर आपने देखा तो समझिए एक मजहब का जन्नत देख लिया।

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