भला क्या बोलूं खुद के बारे में? गांव से निकलकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रास्ते दिल्ली जैसे चकाचौंध वाले महानगर में हूं। यहां की भागमभाग में व्यस्तता के बावजूद न टाट पट्टी पर बैठकर की गई पढ़ाई भूली और न ही सालों पहले छोड़े गांव की माटी की सोंधी महक। दोनों के बीच सामंजस्य बिठाने में लंबा अरसा बीत गया....