Friday, May 28, 2010

किसानों को सहनी पड़ेगी महंगाई घटाने की कीमत

महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार अब किसानों पर बोझ डालने की तैयारी में है। यानी महंगाई घटाने की कीमत अब किसानों को सहनी पड़ सकती है। खेती की लागत बढ़ने के बावजूद सरकार खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने नहीं जा रही है। धान का समर्थन मूल्य किसानों को पिछले साल के बराबर ही मिलेगा। यानी समर्थन मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की जाने वाली है। जबकि दलहन के मूल्य में की जाने वाली प्रस्तावित वृद्धि नाकाफी है। इसका सीधा असर खरीफ की खेती पर पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले दिनों दिसंबर तक मुद्रास्फीति की दर को पांच-छह फीसदी तक लाने का भरोसा दिलाया था। इसी के मद्देनजर एमएसपी में वृद्धि की उम्मीद नहीं है। समर्थन मूल्य तय करने के लिए गठित कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी हैं। इस पर संबंधित मंत्रालयों ने विचार कर लिया है। ज्यादातर राज्यों ने भी अपनी राय रख दी है। अब खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य के इस मसौदे पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मुहर लगनी है।
आयोग की सिफारिशों में धान के 'ए' ग्रेड का मूल्य 1030 रुपये और सामान्य धान 1000 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले खरीफ सीजन में किसानों के प्राप्त मूल्य के बराबर ही है। मक्के का समर्थन मूल्य 880 रुपये तय किया गया है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में यह 840 रुपये था। सबसे अधिक हैरानी दलहन फसलों के समर्थन मूल्य को देखकर हो सकती है, जिसमें 400 से 500 रुपये प्रति क्ंिवटल की वृद्धि तो की गई है। लेकिन एमएसपी पहले से ही इतना कम है कि इस वृद्धि का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
उदाहरण के लिए पिछले साल अरहर दाल घरेलू बाजार में एक सौ रुपये प्रति किलो बिकी, तब अरहर का एमएसपी एक तिहाई से भी कम, यानी 2300 रुपये प्रति क्ंिवटल था। चालू सीजन में अरहर दाल 80 रुपये किलो बिक रही है। सीएसीपी ने इसका समर्थन मूल्य 2800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। मूंग का समर्थन मूल्य 2760 रुपये से बढ़ाकर 3170 रुपये और उड़द का 2520 रुपये से 2900 रुपये किया गया है। लेकिन इन बढ़े मूल्यों का कोई औचित्य नहीं है। खुले बाजार में मूंग व उड़द की दालें 70 रुपये प्रति किलो से नीचे नहीं है।
खाद्य तेलों की आयात निर्भरता लगातार बढ़ने के बावजूद खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसलों का एमएसपी मामूली रूप से बढ़ाया गया है। मूंगफली 2100 रुपये से बढ़ाकर 2300 रुपये और तिल के मूल्य 2850 रुपये में सिर्फ 50 रुपये की वृद्धि की गई है, जिसके लिए 2900 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य सुझाया गया है। कपास का मूल्य 3000 रुपये प्रति गांठ ज्यों का त्यों ही रखा गया है।
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