गेहूं बुवाई की हालत चिंताजनक, 30 लाख हेक्टेयर तक पिछड़ी
कहीं नमी की कमी से तो कहीं बारिश से प्रभावित हुई गेहूं की बुवाई
राम जी की माया कहीं धूप कहीं छाया। भला हो इस कहावत का। देश में जब मानसूनी बादल खूब पानी बरसा रहे थे तो लगा अगला सीजन रबी खूब फले फूलेगी। लेकिन हालत उलटबांसियों की सी हो गई है। जहां खूब पानी बरसा वहां नमी थी, लेकिन बुवाई से ठीक पहले फिर बारिश हो गई। और जिन इलाकों में मानसून ने दगा दिया था वहां के किसानों ने सोचा इस मौसम में थोड़ी बहुत बारिश तो हो ही जाएगी। लेकिन इस सीजन में भी बूंदे नहीं टपकीं। किसानों ने गेहूं बोने के लिए खेत में पलेवा कर डाला। अब वहां भी गेहूं की बुवाई लेट। यानी दोनों जगहों पर गेहूं की बुवाई पीछे। गेहूं की बुवाई पिछड़ने की एक कहानी और। पश्चिम उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें नहीं चलीं तो उनकी मुश्किल यह हो गई कि पेड़ी गन्ने वाले खेत ही खाली नहीं हो पाये। आगे भी संभावना नहीं है। यह कोई कम रकबा नहीं है। सरकारी आंकड़ों पर जाएं तो कोई नौ दस लाख एकड़ है।
गेहूं कारकबा पिछले साल के मुकाबले सर्वाधिक 30 लाख हेक्टेयर तक पिछड़ चुका है। बुवाई में देरी होने से गेहूं की उत्पादकता पर विपरीत असर पडऩे का खतरा है। इसे लेकर कृषि मंत्रालय के माथे पर भी बल पडऩे लगे हैं।
मानसून की अच्छी बारिश के चलते भूमि में पर्याप्त नमी को लेकर कृषि वैज्ञानिक व सरकार बेहद खुश थे। उम्मीद थी कि रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई इस बार जल्दी हो जाएगी, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गेहूं उत्पादक राज्यों- पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मानसून की अच्छी बारिश हुई थी। इससे वहां की भूमि में पर्याप्त नमी को देखते हुए बुवाई तेजी से शुरू तो हुई, लेकिन अचानक हुई बारिश ने उसे रोक दिया है। हरियाणा में गेहूं बुवाई ढाई लाख हेक्टेयर पीछे है, जबकि पंजाब में डेढ़ लाख हेक्टेयर।
इसके विपरीत पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ में पर्याप्त बारिश नहीं होने से खरीफ की फसलों पर विपरीत असर पड़ा था। जिससे खेतों में पलेवा (सिंचाई) करने के बाद ही बुवाई संभव हो पा रही है। परिणामस्वरूप यहां भूमि में नमी की कमी से बुवाई पिछड़ रही है।
कहीं सूखा कहीं बारिश के चलते उत्तर प्रदेश में पिछले साल अब तक जहां 30 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं बो दिया गया था, वहां अभी तक केवल नौ लाख हेक्टेयर में ही गेहूं की बुवाई हो सकी है। कृषि मंत्रालय के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है।
कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में गेहूं बुवाई पांच लाख हेक्टेयर पीछे चल रही है। पिछले साल अब तक 17.71 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी थी, जो चालू सीजन में 12.50 लाख हेक्टेयर ही हो पाई है। छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी और महाराष्ट्र में 35 फीसदी कम रकबा में बुआई हुई है।
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