आधुनिक खेती से उत्पादकता बढ़ाने का जिम्मा अब कंपनियां उठाएंगी। इन कंपनियों को सरकार आर्थिक मदद के साथ अन्य सहूलियतें भी उपलब्ध कराएगी। कृषि मंत्रालय की इस पहल को आम बजट में भी जमकर सराहा गया है। आगामी वित्त वर्ष 2013-14 के आम बजट में इसके लिए 50 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है।
केंद्र ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों से अपने मंडी कानून में तब्दीली करने का आग्रह किया है। कांट्रैक्ट और सहकारी खेती के प्रयोगों के बाद अब इसे आगे बढ़ाया गया है। खेती वाली इन कंपनियों में किसानों को उनके खेत के रकबे के हिसाब से हिस्सेदारी दी जाएगी।
खेती वाली कंपनियां पहली हरितक्रांति वाले राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि विविधता पर जोर देंगी। पंजाब में इसकी शुरुआत हो चुकी है। इन कंपनियों को खुदरा कारोबार से जोड़ा जाएगा, ताकि उनके उत्पादों को उचित मूल्य प्राप्त हो सके। छोटी जोत की समस्या से निजात मिल जाएगी। फार्म बड़ा होने से आधुनिक कृषि मशीनरी का प्रयोग संभव होगा, जिससे उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इन बड़े फार्मों में निर्धारित एक ही तरह की फसलें उगाई जाएंगी।
कृषि उत्पादकता के ठहरने और छोटी जोत की समस्या से सरकार बेहद चिंतित है। इसे गंभीर चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए कृषि मंत्रालय ने कृषि उत्पादक कंपनी और कृषि उत्पादक संगठन जैसी परियोजना तैयार की है। आधुनिक खेती के लिए इन कंपनियों को 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी।
कृषि मंत्रालय के इस प्रस्ताव को वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में मंजूरी देने के साथ जमकर सराहा भी है। उन्होंने इसके लिए फिलहाल सालाना 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस नायाब पहल पर अमल के लिए शुरुआत में एक निधि का गठन किया जाएगा, जिसमें सरकार 100 करोड़ रुपये की अपनी हिस्सेदारी जमा करेगी। इसकी पहल पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में हो चुकी है। आम बजट में मिली मंजूरी के बाद इसके तेजी पकडऩे की संभावना है।
-----------