Wednesday, February 10, 2010

बढ़ती गर्मी सुखा न दे दूध की धारा

दूध उत्पादन में दुनिया के शीर्ष पर पहुंचा भारत का डेयरी उद्योग गंभीर खतरे की तरफ बढ़ रहा है। बिगड़ते मौसम का मिजाज अगले कुछ सालों में दूध उत्पादन में 15 से 18 लाख तक की कमी ला सकता है, जो देश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाने वाले अभियान 'ऑपरेशन' फ्लड की हवा निकाल देगा। डेयरी वैज्ञानिक मान रहे हैंकि तापमान में एक से दो डिग्री की वृद्धि से जानवरों की प्रजनन और गर्भ धारण की क्षमता घट जायेगी। जिसका सीधा असर दूधके उत्पादन पर पड़ने वाला है। भारतीय एक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिको के एक विस्तृत अनुसंधान यह चौंकाने वाला निष्कर्ष दिया है। दुग्ध व पशुधन विकास पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव' विषय पर पिछले आठ सालों से किये जा रहे अनुसंधान के मुताबिक आने वाले देश में दूध उत्पादन में भारी कमी आ सकती है। तापमान एक से दो डिग्री सेल्सियस बढ़ने पर गाय व भैंसों के गर्भधारण पर भी विपरीत असर पड़ेगा। इस शोध के तहत करनाल, झांसी, बंगलौर, हिसार और कल्याणी अनुसंधान संस्थानों में दुधारु पशुओं की दूध उत्पादकता और तापमान के बीच संबंधों का विस्तृत अध्ययन किया गया। पिछले आठ सालों के बाद देश के अलग-अलग 103 जगहों पर दुधारु पशुओं से संबंधित आंकडे़ तैयार किये गये। इसके मुताबिक सूरज की तपिश बढ़ने के साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को देखा गया। सामान्य रुप से भी गरमी व उमस वाले महीने मई, जून और जुलाई में गाय व भैंसों में गर्भ धारण की क्षमता घट जाती है। जबकि अक्तूबर से दिसंबर के बीच यह आंकड़ा उच्चतम स्तर पर रहता है। वैज्ञानिक मान रहे हैं कि तापमान बढ़ने से पशुओं में साल के बहुत छोटे समय के दौरान गर्भधारण हो सकेगा गर्मी के मौसम में दूध की कमी व कीमतों मे वृद्धि अब लगभग हर साल का प्रसंग हो गई है। शहरों के फैलने के कारण पशुओंके चारागाह समाप्त हो रहे हैं, दूसरी तरह अनाज कमी के कारण नियमित खेतों में चारे की खेती भी घट रही है। जिससे पशुपालन पर असर पड़ा है।

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