Tuesday, December 20, 2011

कहीं पीडीएस के 'मुन्नाभा' न मार ले जाएं रियायती अनाज

खाद्य सुरक्षा विधेयक की खामियां-2
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- 31 दिसंबर 2011 तक पूरी नहीं हो पाएगी गरीबों की पहचान और गणना
- गरीबों की संख्या को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच टकराव बरकरार
- गैर सरकारी संगठनों ने भी गरीबों की गणना पर जताई आपत्ति
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सुरेंद्र प्रसाद सिंह
खाद्य सुरक्षा विधेयक के अमल में गरीबों की पहचान को लेकर सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। इस मसले का व्यावहारिक समाधान न हुआ तो गरीबों के रियायती अनाज की लूट में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के 'मुन्नाभाईÓ बाजी मार ले जाएंगे। कई राज्य सरकारों और संगठनों ने केंद्र को इस तरह से होने वाली गड़बड़ी की जानकारी दे दी है।
राजनीतिक वजहों से सरकार खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने की भारी हड़बड़ी में है, जिसका लाभ अनाज के चोर उठा सकते हैं। गरीबों की पहचान करने के लिए आर्थिक-सामाजिक जनगणना-2011 लांच की गई है, जिसे हर हाल में 31 दिसंबर 2011 तक पूरा करना था। इसी जनगणना के आंकड़ों के आधार पर गरीबों की पहचान की जाएगी। लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में यह जनगणना शुरू ही नहीं हो सकी है। जबकि महाराष्ट्र में सिर्फ एक फीसदी और आंध्र प्रदेश में 15 फीसदी काम पूरा हो पाया है। बिहार ने इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया था।
जनगणना के ताजा आंकड़ों के आधार पर खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू की जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो जनगणना इतनी धीमी गति से हो रही है कि इसके आंकड़ों के आधार पर राशन प्रणाली किसी भी हाल में अप्रैल 2012 से चालू नहीं हो सकती है। अव्वल तो यह है कि गरीबों की पहचान वाली यह पूरी प्रक्रिया ही विवादों से घिरी है। इसमें एपीएल, बीपीएल और एएवाई जैसी श्रेणियां खत्म हो जाएंगी। इसमें सिर्फ सामान्य और प्राथमिकता क्षेत्र वाले उपभोक्ता शामिल होंगे। निर्धारित सात मानकों को आधार बनाया गया है, जिन पर गैर सरकारी संगठनों का प्रबल विरोध है।
गरीबों की पहचान और उनकी संख्या को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच भी लगातार विरोध के स्वर उभरते रहे हैं। गरीबों की संख्या पहले ही 37.2 फीसदी मान ली गई है, जिसे राज्य सरकारें मानने को तैयार नहीं हैं। हालांकि खाद्य सुरक्षा विधेयक में इस आंकड़े से कहीं अधिक परिवारों को रियायती अनाज देने का प्रावधान है। योजना आयोग के आंकड़ों में फिलहाल जहां 6.52 करोड़ परिवारों को गरीब माना गया है, वहीं राज्य सरकारें 10.76 करोड़ परिवारों को गरीब मानती हैं। उन्हें राशनकार्ड भी जारी किया गया है।

4 comments:

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