Saturday, December 31, 2011

विवादों के पर्यायः मणिशंकर अय्यर

ब्यूरोक्रेट से कांग्रेस के नेता बने मणिशंकर अय्यर का विवादों से नाता पुराना है। मंत्री रहें अथवा नहीं। न उन्हें विवाद छोड़ता और न ही वो विवादों से नाता तोड़ते हैं। उनके मुंह से निकली बातों के इसी अंदाज मे मायने भी लगाए जाते रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सिपहसालार रहे अय्यर पर आज भी उस दौर की खुमारी चढ़ी रहती है। उनके ज्यादातर मित्र उन्हें मणि नाम से ही पुकारते हैं। उनके साथ संसद की लॉबी में बिताए दस मिनट का ब्यौरा पेश कर रहा हूं। मौका था २९ दिसंबर। स्थान- राज्यसभा की लॉबी। और वक्त था रात के करीब ९.३० बजे। मणि अपनी रौ में थे। साथ में गिने चुने कुछ पत्रकार उनके इर्द गिर्द खड़े थे।
तभी राज्यसभा की गैलरी से निकलकर जाने-माने फिल्मकार श्याम बेनेगल निकल रहे थे। बेनेगल ने मणि को देखा तो नमस्ते भी ठोंक दी। फिर क्या था मणि ने उनके समक्ष एक प्रस्ताव रख दिया। बेनेगल साहब एक फिल्म बनाइए। शीर्षक भी दे डाला....उल्लूवालियों की अमर कथाएं, बेनेगल परेशान भई यह कैसा शीर्षक है। पूछ भी दिया, इसके मायने...'एमएस' और 'एसएस' (मोंटेक व सुरंदर सिंह)। बेचारे श्याम थोड़ा सहमें पर चलते बने। उनके भीतर क्या चल रहा था राम जानें। लेकिन वहां खड़े पत्रकारों के हंसी छूट पड़ी। अभी हंसी रुकी नहीं कि इसी बीच कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के एक दिन के मुख्यमंत्री रहे और मौजूदा सांसद जगदंबिका पाल दिख गए। पाल साहब ने मणि को देखा और हाथ मिलाया और चलते बने। बस इतने में मणि फिर फूट पड़े। कहा, इन महाशय का देखिए, राजीव जी प्रधानमंत्री थे, तो ये साहब मेरे पांव के हाथ लगाते थे और आज हाथ मिला रहे हैं। उनके चेहरे पर थोड़ा गुस्सा और बेचैनी थी।
अगला सीन कुछ यूं था कि इसी बीच पंजाब विधानसभा चुनाव में वहां की संगरुर सीट से प्रत्याशी बनने का एक दावेदार आ धमका। उसने मणि के आगे दोनों हाथ जोड़ते हुए थोड़ी पंजाबी तड़के वाली हिंदी में आग्रह करना शुरु कर दिया। बेखौफ बोलता रहा। उसके चुप होने के बाद बड़े इत्मीनान से मणि ने कहा कि भाई टिकट चाहिए तो कांग्रेस के किसी और नेता से संपर्क करो। संभव हो सके तो अहमद पटेल से मिलो। मेरी पैरव्वी का मतलब मिलता टिकट भी कट जाएगा। लेकिन दावेदार भी कहां थमता, हार माने बगैर उसने कहा, सरजी आप ही हमारे माईबाप है। आप पैरवी करिए टिकट मिले या न मिले। इसकी चिंता छोड़िए। मणि ने उसी से पूछा, अच्छा तो बोलो भाई, किससे कह दूं। कुछ नहीं सर जी। सिर्फ सीपी जोशी से बोल दो काम हो जाएगा। अरे बाप रे। लगा किसी ने डंक मार दिया। मणि ने उसका आवेदन उसके हाथ में पकड़ाते हुए झिड़की दी और कहा, जाओ यहां से हटो। कांग्रेस में मेरे दो दुश्मन है, इनमें एक सीपी और दूसरा जयराम। भला मैं इनसे कुछ कह सकता हूं।

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