Monday, February 8, 2010
ब्लॉग की दुनिया में....
बड़ा गजब जलवा है यहां का तो। सोचा। और यहां कुछ लिखा। बस फिर क्या था देखते ही देखते ही इसका प्रसार न जाने का कहां तक हो जाता है। अजब-गजब की प्रतिक्रियाएं। सोचने व समझने के नये-नये एंगल। भला हो एसे माध्यम का। नया हूं। कहने या लिखने के मामले में नहीं। सिर्फ यहां कुछ टांकने के मामले में। धड़ल्ले से लिखने में सहज बात सहज तरीके से नहीं निकल पा रही है। हालांकि कोशिश करुंगा कि जल्दी ही रवां हो जाऊं। खेती-बारी, खान-पान, चूल्हा चौके का हिसाब-किताब ही नहीं कुछ और भी बताने की कोशिश करुंगा। संभव है गलत भी हो। लेकिन कोशिश रहेगी बिना किसी तकल्लुफी के कहने की। गांवों की माटी की महक भूला नहीं हूं। महानगर की गंध झेल रहा हूं। दोनों से से आपको भी रुबरु कराने का प्रयास होगा। बस इतना ही....
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1 comment:
likha babu taan ke likha. hum blogeron se bathhee bina likhe na hoyee. ek baat baa kee word varification hata ta theek rahee.
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