Sunday, August 28, 2011

अन्ना के आंदोलन में गुम हो गई नदियों की बाढ़

भारी बारिश से उत्तरी क्षेत्रों की नदियां उफनाईं

गंगा और ब्रह्मïपुत्र के मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का कहर शुरु
संसद में भी सुनाई पड़ी बाढ़ की तबाही की गूंज
बाढ़ से लाखों हेक्टेयर धान की फसल तबाह
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अन्ना की चपेट में नदियों की बाढ़ कहीं गुम हो गई हैं। डेढ़ सौ से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। सैकड़ों पशु बह गये। खेती उजड़ गई। घर मटियामेट हो गये। लेकिन मीडिया से लेकर संसद तक में उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। ब्रह्मपुत्र की विभीषिका से समूचा पूर्वोत्तर चीख व चीत्कार रहा है। उत्तरी व पूर्वी भारत का हाल बेहाल है। नेपाल के बांधों से बेहिसाब पानी छोड़े जाने से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की नदियां बौराने की ओर हैं।..........
उत्तर और पूर्वी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से उफनाई नदियों की बाढ़ से खरीफ फसलें तबाह हुई हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में लाखों हेक्टेयर भूमि में खड़ी धान की फसलें बाढ़ में डूबी हुई हैं। इन राज्यों में फसलों के हुए नुकसान का जायजा लेने जल्दी ही केंद्रीय दल जाएगा।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बहने वाली लगभग सभी नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। बाढ़ से खरीफ की फसलें चौपट हो रही हैं। राज्य के 26 जिलों में बाढ़ का प्रकोप हो गया है, जिससे ढाई लाख हेक्टेयर धान की फसल बाढ़ में डूब गई है। बाराबंकी, बहराइच, फैजाबाद, गोंडा, फरुखाबाद, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, सीतापुर, बलिया, बिजनौर, मुरादाबाद, गोरखपुर और गाजीपुर समेत दो दर्जन से अधिक जिलों में बाढ़ का असर पड़ा है।
बिहार की सभी नदियां उफना चुकी हैं। उनकी बाढ़ से लगभग एक लाख हेक्टेयर में खड़ी धान की फसल पानी में डूब गई है। राज्य के 25 जिलों में बाढ़ की तबाही शुरू हो गई है। जबकि दलहन व तिलहन की फसल तो पहले ही भारी बारिश की भेंट चढ़ चुकी है। नेपाल में बने बांधों से छोड़े गये अतिरिक्त पानी से राज्य की कुछ नदियां उफना गई हैं, जिससे कई जिलों में स्थिति नाजुक होने के कगार पर है।
उधर पश्चिम बंगाल के 15 जिलों के 171 विकास खंड बाढ़ की चपेट में हैं। यहां की खेती पर इसका बुरा असर पड़ा है। राज्य आपदा प्रबंधन के अनुमान के मुताबिक राज्य की लगभग पौने तीन लाख हेक्टेयर धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। मौसम विभाग की मानें तो राज्य में पिछले तीन सालों बाद भारी बारिश हुई है, जिससे राज्य की छोटी और बड़ी नदियां उफना रही हैं। केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के अनुसार धान की फसल के लिए 700 मिलीमीटर बारिश की जरूरत होती है, जबकि यहां 1000 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो चुकी है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की नजर इन राज्यों की नदियों में बाढ़ और खरीफ फसलों के होने वाले नुकसान पर है। राज्यों के आग्रह पर मंत्रालय के अफसरों की टीम जल्दी ही प्रभावित जिलों का दौरा करेगी।
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एक सप्ताह पूर्व की खबर

उत्तर भारत और पूर्वी क्षेत्रों में भारी बारिश से ऊफनाई नदियों ने तबाही मचाना शुरु कर दिया है। इससे गंगा व ब्रह्मïपुत्र का मैदानी क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गया है। गंगा और ब्रह्मïपुत्र की सहायक नदियों में आई बाढ़ से पूर्वोत्तर के राज्यों समेत समूचा उत्तर भारत और केंद्रीय मध्य प्रदेश और राजस्थान में बाढ़ का कहर शुरु हो गया है। इसकी गूंज आज संसद में भी सुनाई पड़ी। बाढ़ से प्रभावित राज्यों में जान माल की सुरक्षा के लिए तत्काल मदद पहुंचाने की गुहार लगाई गई।
हिमालयी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के साथ पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रही भारी बारिश से भूस्खलन और नदियों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। इसका असर मैदानी क्षेत्रों में भीषण दिखाई देने लगा है। गंगा और उसकी सहायक नदियां लगभग सभी जगह खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। गंगा की सहायक नदियों में घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, रामगंगा, यमुना सभी जगहों पर खतरे का निशान पार कर चुकी है। शारदा, सरयू और ताप्ती नदियों में बाढ़ है, जिसका असर लखीमपुर खीरी, गोंडा और बलरामपुर जिलों के जनजीवन पर पडऩे लगा है।
केंद्रीय जल आयोग के केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण केंद्र के अनुसार गंगा नदी में बाढ़ का पानी कन्नौज से लेकर बलिया तक खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। समूचे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से गुजरने वाली गंगा नदी में बाढ़ का पानी लगातार बढ़ रहा है। हरियाणा मेंयमुना के हथिनी कुंड बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने से दिल्ली और साथ के लगे शहरों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है, जहां अलर्ट जारी कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश कई शहरों के निचले हिस्से में पानी भर गया है। जानमाल की सुरक्षा के लिए उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। उत्तराखंड की बरसाती नदियों के खतरनाक तरीके से ऊफनाने से हालात तंग है। निचले भागों में जहां पानी का स्तर बढ़ गया है, वहीं ऊंचाई वाले हिस्सों में भूस्खलन का खतरा और बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश के नरोरा बांध लबालब भर चुका है।
उत्तरी बिहार में बहने वाली गंडक, बूढ़ी गंडक, बारामती, कोसी, महानदी और पुनपुन नदियों में बाढ़ आ गई है। महानंदा जहां कटिहार में खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है, वहीं खगडिय़ा में बूढ़ी गंडक की बाढ़ ने फसलों को अपनी चपेट में ले लिया है। गोपालगंज, मुजफ्फरपुर सीतामढ़ी और बगहा के निचले इलाकों में पानी भर गया है।
बाढ़ की तबाही का मामला बृहस्पतिवार को यहां राज्यसभा में भी उठाया गया। भाजपा के कलराज मिश्र और मुख्तार अब्बास नकवी ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और देश के अन्य हिस्सों में आई बाढ़ पर चिंता जताते हुए प्रभावित लोगों तक तत्काल मदद पहुंचाने की गुहार लगाई। राजस्थान में भारी बारिश से वहां की छोटी बड़ी नदियों का पानी गांवों में घुस आया है। इस बिन बुलाई दैवीय आपदा के लिए राज्यसभा में भाजपा के रामदास अग्र्रवाल ने वहां की दयनीय स्थिति का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार को आगे आने की अपील की।
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