Wednesday, April 11, 2012
उपभोक्ता संरक्षण
उपभोक्ता अदालतों को और कारगर बनाने की तैयारी
राष्ट्रीय आयोग के सदस्यों को मिलेंगी हाईकोर्ट के जजों की सुविधाएं
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्षों के बढ़ेंगे अधिकार
शिकायतों के निपटारे के लिए नियम-कानून होंगे सरल
उपभोक्ता अदालतों में खाली पदों को भरने के लिए सरकार का फैसला
उपभोक्ताओं के हित संरक्षण वाली अदालतों में जजों के खाली पदों को भरने के लिए सरकार ने नियमों को सरल बनाने का फैसला किया है। शिकायतों के समयबद्ध निपटारे के लिए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्षों को और अधिकार दिए जाएंगे। इसी तरह छोटी शिकायतों को भी उपभोक्ता अदालतों के दायरे में लाने का निर्णय किया गया है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने यह प्रस्ताव तैयार किया है। इसके मुताबिक राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के सदस्यों को अब हाईकोर्ट के जजों की सेवा शर्तें और उनकी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आयोग के 11 सदस्यों में से पांच पद रिक्त हैं। दूसरे प्रस्ताव में राज्य उपभोक्ता आयोग में सदस्यों की नियुक्ति की योग्यता को सरल बना दिया गया है। इसके तहत आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के लिए संगठन अथवा विशेषज्ञों को भी स्थान दिया जा सकता है।
देश के तमाम जिला फोरम के अध्यक्षों के पद खाली होने से वहां की शिकायतों का निपटारा नहीं हो पा रहा है। यह बहुत पुरानी और गंभीर शिकायत है, जिसे सरकार ने काफी गंभीरता से लिया है। उपभोक्ता मंत्रालय ने कुछ प्रावधान किया है, इसके तहत जिन जिलों में अध्यक्ष के पद खाली होंगे, उसके पड़ोस वाले जिले के उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष को वहां का कार्यकारी अध्यक्ष नामित किया जा सकता है। इसके लिए राज्य आयोग की सहमति जरूरी है।
देश के 35 राज्यों के उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष की तीन पद और 629 सदस्यों में से 20 पद खाली चल रहे हैं। इसी तरह देश के 629 जिलों में से 60 अध्यक्षों के पद और 1250 सदस्यों में से 270 पद खाली हैं। इसके साथ छोटी शिकायतों को भी उपभोक्ता अदालतों के दायरे में लाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही शिकायत के तरीके को और सरल बनाने का प्रयास किया गया है। इसके तहत पांच सौ रुपये वाले मामले भी यहां सुने जा सकेंगे, साथ ही शिकायतें आन लाइन भी की जा सकेंगी।
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