Wednesday, April 11, 2012

गांवों की सड़क के लिए विदेशी कर्ज की दरकार

गांवों को सड़कों से जोडऩे वाली बहुचर्चित प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को संचालित करने के लिए विदेशी कर्ज की दरकार है। हजारों करोड़ रुपये के कर्ज की पहली किश्त को मंजूरी मिल चुकी है। जबकि कर्ज की ढाई हजार करोड़ की दूसरी किश्त के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय कोशिश कर रहा है। विदेशी कर्ज का उपयोग ग्र्रामीण सड़क निर्माण में नई प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के मद में किया जाएगा। केंद्रीय ग्र्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इसके लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से अनुमति मांगी है ताकि दूसरी किश्त के लिए एडीबी से समय से समझौता हो सके। ग्र्रामीण विकास मंत्रालय की सबसे सफल योजनाओं में गिनी जाने वाली प्रधानमंत्री ग्र्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के लिए तत्काल धन की जरूरत है। इसका एक बड़ा हिस्सा विदेशी कर्ज से पूरा होता है। पीएमजीएसवाई के लिए पिछले महीने ही एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 4000 करोड़ रुपये के कर्ज की मंजूरी प्रदान की है। ग्रामीण विकास मंत्रालय का मानना है कि इतनी राशि से काम नहीं चलने वाला है, इसलिए 2500 करोड़ रुपये की दूसरी किश्त के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। मसौदे को वित्त मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। ग्र्रामीण विकास मंत्री रमेश ने वित्त मंत्री मुखर्जी को लिखे पत्र में प्रस्ताव का पूरा ब्यौरा दिया है। ग्र्रामीण विकास मंत्रालय ने एडीबी के निर्धारित प्रारुप के मुताबिक तैयार प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा गया है। एडीबी से प्राप्त ऋण का उपयोग मंत्रालय ग्र्रामीण सड़कों के निर्माण में नई प्रौद्योगिकी और अनुसंधान व विकास के लिए किया जाएगा। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने अपने पत्र में तैयार किए गए प्रस्ताव में विदेशी कर्ज वाले हिस्से के अनुपात का पूरा ध्यान रखने का हवाला दिया है। ------------

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