Wednesday, May 30, 2012

राज्यों में गेहूं खरीद से केंद्र की बढ़ी सांसत

-30 जून तक होगी गेहूं की सरकारी खरीद -उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक बोरों के साथ पुराने जूट बोरों के उपयोग की छूट -मध्य प्रदेश में गेहूं खरीद में गड़बड़ी की आशंका, जांच को जाएंगी केंद्रीय टीम -खाद्यान्न संभालने को लेकर केंद्र को नहीं सूझ रहा रास्ता -------------------- गेहूं खरीद में आमतौर पर पीछे रहने वाले राज्यों में भारी खरीद से केंद्र सरकार की सांसत बढ़ गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए खाद्य मंत्रालय को गेहूं खरीद की राह में आने वाली मुश्किलों के समाधान करने का निर्देश दिया है। यही वजह है कि गेहूं खरीद की तारीख 30 जून तक बढ़ी दी गई है। मध्य प्रदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद बहुत तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में जहां गेहूं खरीद बढ़ गई है, वहीं मध्य प्रदेश में हुई अनपेक्षित भारी खरीद पर केंद्र को संदेह होने लगा है। यही वजह है कि अगले सप्ताह तक खाद्य मंत्रालय से उच्चाधिकारियों का एक दल मध्य प्रदेश का दौरा करेगा। आशंका है कि वहां राशन दुकानों के लिए आवंटित पुराना गेहूं दूसरे रास्ते खरीद केंद्रों पर पहुंचने लगा है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय का अनुमान है कि उत्तर प्रदेश सरकार जिस तरह गेहूं खरीद में सक्रियता दिखा रही है, उससे भारी मात्रा में गेहूं का स्टॉक हो जाएगा। इसे संभालना केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की एजेंसियों के लिए भारी पड़ेगा। उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद के लिए जूट बोरों की आपूर्ति का मसला अभी भी अटका हुआ है, जिससे राज्य में गेहूं की खरीद प्रभावित हो रही है। केंद्रीय खाद्य मंत्री केवी थामस ने कहा कि राज्य सरकार की मांग के मद्देनजर वहां प्लास्टिक बोरों के सीमित उपयोग की छूट दे दी गई है। लेकिन राज्य सरकार इस रियायत से संतुष्ट नहीं है। थामस ने कहा कि उत्तर प्रदेश से जितने बोरों की मांग आई है, उसे अगले एक सप्ताह में पूरा कर दिया जाएगा। राज्य सरकार को सिर्फ 20 हजार प्लास्टिक बोरे और 11.50 लाख पुराना जूट बोरे के उपयोग की छूट दी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने और 53 हजार प्लास्टिक बोरे खरीदने की मांग की है। खाद्य मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को टेक्सटाइल मंत्रालय के विचारार्थ भेज दिया है। --------

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