Wednesday, May 30, 2012
दूध की कमी से बेफिक्र सरकार दुग्ध पाउडर निर्यात पर आमादा
सब्सिडी के साथ होगा गरमी में स्किम्ड मिल्क पाउडर का निर्यात
कमी के चलते साल भर में पांच बार बढ़ाए जा चुके हैं दूध के दाम
निर्यात सब्सिडी पर कैबिनेट की बैठक में हो सकता है हंगामा
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दूध में और उबाल आनी हो तो आए। केंद्र सरकार तो वही करेगी, जो उसे भाएगा। यही वजह है कि अगले कुछ दिनों में दूध का मूल्य बढऩा तय हो गया है। दूध की कमी से देश में चौतरफा कीमतें बढ़ रही हैं। सालभर में पांच बार दूध के दाम बढ़ चुके हैं। अब एक बार और।
दूध पाउडर का निर्यात सरकार करने जा रही है। वह भी सब्सिडी के साथ। इसकी घोषणा केंद्रीय मंत्रिमंडल की अगली बैठक में होनी है। निर्यातकों को दूध पाउडर के निर्यात पर सब्सिडी देने के पीछे सरकार का तर्क है कि इससे वे अंतराष्ट्रीय बाजार में आसानी से माल बेच सकेंगे। लेकिन फिर भी यह इतना आसान नहीं है और कैबिनेट बैठक में निर्यात सब्सिडी के मुद्दे पर हंगामा हो सकता है।
दुग्ध उत्पाद केसिन के निर्यात की अनुमति केंद्र पहले ही दे चुका है। जबकि दूध पाउडर के निर्यात का फैसला ऐसे भीषण गरमी के मौसम में किया जा रहा है जब दूध का उत्पादन अपने निचले स्तर पर पहुंच चुका है। कृषि मंत्रालय के तैयार कैबिनेट नोट में 60 हजार टन स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के निर्यात का प्रस्ताव तैयार किया गया है। मसौदे पर परसों यानी बृहस्पतिवार को फैसला लिए जाने की संभावना है।
कैबिनेट नोट में दुग्ध पाउडर के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति टन 30 हजार रुपये की सब्सिडी देने का प्रावधान है। इसमें एक और शर्त जोड़ी गई है कि 15 हजार रुपये की मदद संबंधित राज्य सरकार करेगी जबकि बाकी 15 हजार की सब्सिडी केंद्र सरकार वहन करेगी।
तथ्य यह है कि राष्ट्रीय दुग्ध विकास परिषद (एनडीडीबी) ने पिछले साल दूध की बढ़ी कीमतों को थामने के लिए 50 हजार टन दूध पाउडर का आयात किया था। लेकिन चालू साल में जाड़े के लंबा खिंच जाने की वजह से दूध की पर्याप्त उपलब्धता रही। इसके बावजूद घरेलू बाजार में दूध की कीमतें नहीं घटीं, बल्कि कीमतें कई मर्तबा बढ़ाई गईं। बकौल डेयरी संघ, दूध पाउडर की घरेलू मांग एक लाख टन है, जबकि कुल उपलब्धता 1.70 लाख टन है।
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