-खाद्यान्न पैदावार 25.50 करोड़ टन -गेहंू साढ़े नौ से 11 रुपये किलो -आटा 20 से 28 रुपये किलो -अरहर 33 से 34 रुपये किलो -अरहर दाल 70 से 85 रुपये किलो ----------------------
Wednesday, May 30, 2012
यूपीए के तीन साल, महंगा आटा, महंगी दाल
सरकार उपलब्धियों का सच
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-खाद्यान्न प्रबंधन पर भारी पड़ी सरकार की नीतिगत विफलता
-खाद्यान्न कारोबार पर प्रसंस्करण और थोक व्यापारियों का एकाधिकार
-गरीबों की दाल रोटी पर गहराया संकट
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि का सच गरीबों के लिए बहुत कड़वा है। देश में गेहूं की रिकार्ड पैदावार के बावजूद आटा और गेहूं की कीमत में दो से ढाई गुना का फर्क है। जबकि दाल दलहन के मुकाबले तीन गुनी तक महंगी है। यह इस बात का प्रमाण है कि खाद्यान्नों की भारी आपूर्ति के बावजूद सरकार जिंस बाजार को संभालने में विफल रही है। जिससे गरीबों की नहीं आम लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। इसे शासन की विफलता के रूप में देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार के तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रहे थे। अनाज के बंपर उत्पादन को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताई है। यह सच भी है। लेकिन बाजार में आटा व दाल की कीमतों पर इसका कोई असर नहीं है। सरकार की खाद्य नीति में असंतुलन है। खाद्य उत्पादों पर लगाम कसने वाला प्रशासनिक अमला हार चुका है। खाद्यान्न प्रबंधन की खामियां इसके लिए जिम्मेदार हैं। मांग और आपूर्ति के सिद्धांत के विपरीत बाजार सटोरियों व जमाखोरों के हाथों में खेल रहा है।
अनाज की भारी पैदावार पर सरकार इतरा रही है, लेकिन उसके प्रबंधन की चूक पर वह चुप्पी साधे है। तभी तो जिंस बाजार में गेहूं साढ़े नौ से 11 रुपये किलो और आटा 20 से 25 रुपये किलो बिक रहा है। इसी तरह 33 रुपये किलो की अरहर और उसकी दाल 90 रुपये किलो। खुले बाजार में गेहूं समर्थन मूल्य 1285 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे यानी 950 से 1100 रुपये क्विंटल पर बिक रहा है। लेकिन हैरानी यह कि जिंस बाजार में गेहूं आटे का मूल्य किसी भी हाल में 20 रुपये से नीचे नहीं है। प्रीमियम क्वालिटी के नाम पर गेहूं आटा 25 से 30 रुपये किलो तक बिक रहा है। ब्रांडेड गेहूं आटे का मूल्य इससे कहीं अधिक है।
दालों के मूल्य तो और भी अतार्किक तरीके से बढ़ाए गए हैं। घरेलू बाजार में अरहर की की कीमत 3300/3400 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। जबकि अरहर की दालें 9000 से 9500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। दालों के प्रसंस्करण करने वालों की मानें तो प्रति किलो दाल पर 10 से 15 रुपये प्रति किलो की लागत आती है। लेकिन तैयार दालों के मूल्य खुदरा बाजार में बहुत अधिक हैं।
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जिंस बाजार की
उलटबांसियां :
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