Wednesday, May 30, 2012
गांवों में पीने के पानी का देना होगा शुल्क
2020 तक देश के 90 फीसदी गांवों में नलों से मिलेगा पेयजल
-राज्यों के मंत्रियों ने जयराम के प्रस्ताव पर बनाई सहमति
-बिहार ने पेयजल आपूर्ति की राष्ट्रीय नीति बनाने का रखा मसौदा
-नलों से पेयजल की आपूर्ति में उत्तर प्रदेश फिसड्डी
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गांवों में भी पीने के पानी का शुल्क देना होगा। केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर लगभग सभी राज्यों से सहमति जताई है। इसके लिए प्रत्येक परिवार को रोजाना अपनी ग्र्राम पंचायत में एक रुपये की राशि जमा करानी होगी। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि ग्र्रामीण भारत के लोग साफ पानी के लिए शुल्क देने को राजी हैं। राज्यों के पेयजल व च्वच्छता मंत्रियों के सम्मेलन में इस पर आम सहमति बन गई। मिशन 2020 के तहत 90 फीसदी गांवों में नलों से पीने का पानी देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नलों से पेयजल आपूर्ति में उत्तर प्रदेश और बिहार फीसड्डी साबित हुए हैं।
पेयजल आपूर्ति औच् स्वच्छता पर राज्यों केमंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन ग्र्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि केंद्र के धन से पेयजल कार्यक्रम के तहत किसी राज्य को हैंडपंप लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे अधिक मांग हैंडपंपों की होती है। सांसद निधि से भी तात्कालिक व्यवस्था के तहत हैंडपंप लगाए जा रहे हैं।
राज्यों के मंत्रियों के सम्मेलन उत्तर प्रदेश और बिहार में पेयजल आपूर्ति में ओवरहेड टैंकों और पाइप वाली योजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इन राज्यों में नलों से पेयजल आपूर्ति 10 फीसदी से भी कम होती है, जो देश में सबसे कम है। नलों से पेयजल आपूर्ति के बदले ग्र्रामीण परिवारों को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की तर्ज पर टोकन राशि के तौर पर एक रूपये रोजाना ग्र्राम पंचायत में जमा करना होगा। उस राशि का उपयोग पेयजल आपूर्ति के रखरखाव के लिए किया जाएगा।
पेजयल की समस्या गंभीर हो चुकी है। इसके हल के लिए केंद्र सरकार ने मिशन 2020 तैयार किया है, जिसके तहत 90 फीसदी गांवों में नलों से पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। यह सभी लोगों का संवैधानिक अधिकार है। उत्तर प्रदेश के पेयजल आपूर्ति मंत्री अरविंद सिंह गोप ने राज्य में पेयजल समस्या से निजात पाने के लिए केंद्र से मदद की गुहार की। उन्होंने भरोसा दिया कि राज्य पेयजल अच्र स्वच्छता कार्यक्रम के लिए केंद्रीय मदद का पूरा उपयोग करेगा।
बिहार ने पेयजल आपूर्ति के लिए केंद्र से राष्ट्रीय नीति बनाने की बात कही तो झारखंड ने कहा कि उनके पिछड़े राज्य में पेयजल जल के लिए कम से कम चार हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। हरियाणा ने मेवात और महेंद्रगढ़ के मरूभूमि वाले क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के लिए अतिरिक्त मदद की गुहार की। इन जिलों में खारे पानी की गंभीर समस्या है।
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